क्या एक बैंड-एड नाभि पर लगाने से यात्रा के दौरान उल्टी आना रुक सकता है? गहराई से जानें

क्या एक बैंड-एड नाभि पर लगाने से यात्रा के दौरान उल्टी आना रुक सकता है? गहराई से जानें


क्या आपके बच्चे को सफर के दौरान उल्टी आने की परेशानी होती है? शायद आपने सोशल मीडिया पर एक ऐसी तरकीब देखी हो जो राहत प्रदान कर सकती है—हालांकि इसमें एक चेतावनी भी शामिल है!

जब भी आप सोशल मीडिया पर कोई बहुत ही सरल उपाय देखते हैं जो इतना आसान लगता है कि उस पर विश्वास करना मुश्किल हो, तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होती है? क्या आप उसे आजमाने के लिए तैयार होते हैं या पहले उसकी सच्चाई जांचते हैं? अक्सर, सोशल मीडिया ने यह साबित किया है कि हर वायरल होता उपाय भरोसेमंद नहीं होता।

हाल ही में एक वायरल वीडियो ने खूब चर्चा बटोरी, जिसने कई लोगों को इसकी सच्चाई पर सवाल खड़ा करने पर मजबूर कर दिया।

वीडियो क्या सुझाता है?


एक महिला, जिसका नाम जैस्मिन है, ने एक असामान्य उपाय को प्रमोट किया है, जिसमें बच्चों की यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए नाभि पर बैंड-एड लगाने की बात कही गई है। यह वीडियो 8 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।

जैस्मिन के अनुसार, “अगर आपके बच्चे को सफर के दौरान उल्टी होती है, तो बैंड-एड को उसके नाभि के ऊपर लगा दें।” हालाँकि, वह इस तरकीब के काम करने के पीछे का कारण पूरी तरह से नहीं समझती, फिर भी वह कई माता-पिताओं के अनुभव साझा करती हैं जिन्होंने इस उपाय को सफल पाया है।

लोगों की प्रतिक्रिया: क्या सोचते हैं लोग?

आमतौर पर, टिप्पणी सेक्शन वायरल मिथकों को उजागर करने का अड्डा होता है, लेकिन इस मामले में, कई लोगों ने जैस्मिन के उत्साह का समर्थन किया।

एक इंस्टाग्राम यूजर, मेलिसा नॉनिस ने इसे एक पारंपरिक एशियाई प्रथा से जोड़ा, जहाँ नवजात शिशु की नाभि पर कपड़ा रखकर गैस और पेटदर्द को दूर करने की बात कही जाती है। कुछ चिकित्सक इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन मेलिसा का दावा है कि यह उनके बच्चे के लिए फायदेमंद रहा। उन्होंने एक अन्य घरेलू उपाय का भी जिक्र किया—नाभि पर बैंड-एड के नीचे अदरक का टुकड़ा लगाना, जो पाचन के लिए प्रसिद्ध है।

दूसरी ओर, कुछ लोग संदेह में रहे और इसे प्लेसबो इफेक्ट से जोड़ा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

यहाँ मामला थोड़ा धुंधला हो जाता है—इस विशेष तरीके को समर्थन देने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। मोशन सिकनेस तब होती है जब आपकी आँखों द्वारा देखी गई जानकारी और आपके आंतरिक कान के द्वारा महसूस की गई गति में असमानता होती है, जिससे चक्कर, मितली और कभी-कभी उल्टी होती है। नाभि पर बैंड-एड लगाने से इस संवेदनात्मक असंतुलन को सीधे तौर पर ठीक नहीं किया जा सकता।

डॉ. पूनम सिदाना, जो CK बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली में नवजात और बाल रोग विशेषज्ञ हैं, कहती हैं, "ऐसे किसी उपाय के समर्थन में कोई ठोस वैज्ञानिक डेटा नहीं है। बहुत से लोग इन विधियों में आराम पाते हैं, लेकिन चिकित्सा जगत में इसे लेकर सटीक अध्ययन नहीं हैं।"

क्या यह तरीका हानिकारक हो सकता है?

अभिभावकों के मन में यह सवाल आ सकता है: क्या इस तरीके को आज़माना सुरक्षित है?

सौभाग्य से, जवाब है, हाँ।

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