33 कोटि या 33 करोड़...? जानिए सनातन धर्म के देवी-देवताओं का रहस्य और उनकी श्रेणियाँ

 

33 कोटि या 33 करोड़...? जानें कौन हैं सनातन धर्म के देवी-देवता और उनके प्रकार

हिंदू धर्मग्रंथों में एक उल्लेखनीय बात है - 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख। यहां "कोटि" एक संस्कृत शब्द है जिसका वास्तविक अर्थ "प्रकार" होता है, न कि "करोड़" जैसा कि सामान्यतया समझा जाता है। इसका सीधा संकेत यह है कि सनातन धर्म में 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। फिर भी, कई स्थानों पर कोटि को "करोड़" समझा गया, और इसी कारण यह भ्रम फैल गया कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता होते हैं।

सनातन धर्म को इस संसार का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है, और इस धर्म में असंख्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अंतर्गत कई त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान मनाए जाते हैं। सदियों से यह जिज्ञासा रही है कि कुल कितने देवी-देवता इस धर्म में हैं। एक बड़ी भ्रांति यही है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं, जिसे आज भी अधिकतर लोग सत्य मानते हैं। तो क्या वास्तव में हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं? आइए, इस प्रश्न का सही उत्तर जानें।

सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता या 33 कोटि देवता?

सनातन धर्म का इतिहास इतना प्राचीन है कि इसकी उत्पत्ति का सटीक समय कोई नहीं जानता। संस्कृत, जो कि इस धर्म की प्रमुख भाषा मानी जाती है, उसी में वेद और उपनिषद रचित हैं। हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ जैसे भगवद गीता और रामायण भी संस्कृत में ही लिखे गए हैं। समय के साथ जब हिंदी का प्रसार हुआ, तो हिंदुओं ने इसे व्यापक रूप से अपनाया, और संस्कृत धीरे-धीरे पीछे छूटने लगी। इसके परिणामस्वरूप, हमारे प्राचीन शास्त्रों का संस्कृत से हिंदी में अनुवाद शुरू हुआ।

कोटि शब्द का सही अर्थ क्या है?

संस्कृत में "कोटि" के दो प्रमुख अर्थ होते हैं - पहला "करोड़" और दूसरा "उच्चतम"। हालांकि, जन-सामान्य ने इसे अक्सर "करोड़" के रूप में लिया, जिससे यह धारणा बन गई कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं। लेकिन सही मायने में, यहां "कोटि" का अर्थ "प्रकार" या "श्रेणी" है। तो, अब हम यह समझें कि 33 कोटि देवी-देवता कौन हैं।

33 कोटि देवी-देवता कौन हैं?

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, 33 कोटि देवी-देवता मुख्य रूप से तीन समूहों में बंटे हुए हैं। इनमें शामिल हैं: 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र और प्रजापति। कहीं-कहीं, इन दोनों के स्थान पर अश्विनी कुमारों को भी सम्मिलित किया गया है।

आइए, विस्तार से जानते हैं इन 33 कोटि देवी-देवताओं के नाम और उनकी विशेषताएं:

8 वासु:

  • आप: जल के देवता
  • ध्रुव: स्थिरता और धैर्य के प्रतीक
  • सोम: चंद्रमा और अमृत के देवता
  • धर: पृथ्वी के रक्षक
  • अनिल: वायु के अधिष्ठाता
  • अनल: अग्नि के प्रतीक
  • प्रत्यूष: उषा काल के देवता
  • प्रभाष: प्रकाश के स्रोत

11 रुद्र:

  • मनु: मानव जाति के उत्पत्ति देवता
  • मन्यु: क्रोध और संघर्ष के रक्षक
  • शिव: विनाश और पुनर्निर्माण के परम देवता
  • महत: महानता का प्रतीक
  • ऋतुध्वज: समय के प्रवाह के नियंत्रक
  • महिनस: बल और शक्ति के देवता
  • उम्रतेरस: अव्यक्त तत्वों के स्वामी
  • काल: समय के अधिपति
  • वामदेव: कल्याण और चिकित्सा के देवता
  • भव: अस्तित्व और विनाश के रक्षक
  • धृत-ध्वज: सहनशीलता और दृढ़ता के प्रतीक

12 आदित्य:

  • अंशुमान: सूर्य की किरणों के देवता
  • अर्यमन: मित्रता और मेजबानी के देवता
  • इंद्र: देवताओं के राजा
  • त्वष्टा: रचनात्मकता के देवता
  • धातु: संरचना और संघटन के देवता
  • पर्जन्य: वर्षा और कृषि के देवता
  • पूषा: संपन्नता और पोषण के अधिपति
  • भग: समृद्धि और वैभव के देवता
  • मित्र: स्नेह और मित्रता के देवता
  • वरुण: आकाश और समुद्र के स्वामी
  • वैवस्वत: न्याय और धर्म के रक्षक
  • विष्णु: संरक्षण और पालन के परम देवता

2 अन्य प्रमुख देवता:

अश्विनी कुमारों को कहीं-कहीं इन 33 कोटियों में सम्मिलित किया गया है। वे चिकित्सा और उपचार के देवता माने जाते हैं। उनके अतिरिक्त, इंद्र और प्रजापति भी इन 33 प्रमुख देवताओं में गिने जाते हैं।

भ्रम का निवारण

तो, अब यह स्पष्ट हो चुका है कि सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता नहीं, बल्कि 33 प्रकार के प्रमुख देवता हैं। ये देवी-देवता विभिन्न प्रकार की शक्तियों और विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को संचालित करते हैं।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि सनातन धर्म की यह विशेषता उसे और भी अनूठा बनाती है। यहाँ प्रत्येक देवी-देवता की अपनी विशेष भूमिका और महत्व है, जिससे हर एक व्यक्ति उनके साथ जुड़ाव महसूस कर सकता है।

निष्कर्ष:

अंततः, हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की भ्रांति को दूर करते हुए यह जानना आवश्यक है कि यहां 33 कोटि या प्रकार के देवता होते हैं। यह मान्यता हमें सिखाती है कि धर्म केवल संख्या में नहीं, बल्कि उसके द्वारा दिए गए गहन ज्ञान और समझ में निहित होता है।

 

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